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पहले आप, पहले आप

My view on Delhi Post Election Scenario-2013 हमारे संविधान के अनुसार चुनाव होते है, जिसमे जनता अपनी बुद्धि, समझ और प्रत्याशी के अनुभव और घोषणा पत्र के आधार पर वोट देती है. अभी भी ऐसा हुआ है, तो दिल्ली में ऐसा क्या हुआ है जिसके बारे में इतनी चर्चा हो रही है. वो ये की, बजाये जोड़ तोड़ के सरकार बनाने के हर कोइ चाहे वो भाजपा से श्री राजनाथ सिंह जी हो, श्री नितनी गडकरी जी हो या आम आदमी पार्टी के श्री अरविन्द केजरीवाल जी व् श्री मनीष सिसोदिया ही क्यूँ न हो. आम आदमी पार्टी की एक बात की तो तारीफ करनी ही चाहिए कि वो अभी भी अपनी बात पे अडिग है कि न तो वे किसी का समर्थन लेंगे, न ही किसी पार्टी को अपना समर्थन देंगे. इसी के चलते भाजपा भी शायद एक अच्छी छवि बनाने के चलते शायद ये कह रही है, कि हम विपक्ष में बैठने के लिए तैयार है. ऐसे में सरकार किसकी बनेगी या नहीं बनेगी, नहीं बनेगी तो क्या राष्ट्रपति शासन लागू होगा? गर राष्ट्रपति शासन लागू हुआ तो अगले चुनाव कब होंगे और इस चुनाव का परिणाम क्या होगा, ये काफी हद तक निर्भर करता है कि ये चुनाव कब होंगे? इस चुनाव में जीत किसकी होगी, बहुत बड़ा असर इ

My views on this Hindi Diwas

हिंदी दिवस पर हिंदी के लिए मेरे विचार या दर्द   दोस्तों आज हिंदी दिवस है, कई सभाएं होगी, कई चर्चाये होंगी, जिनका नतीजा शायद शून्य ही होगा. ऐसे ही बैठे बैठे कुछ ख्याल आये, जो बस लिख दिए. प्रस्तुत है चंद पंक्तियाँ- आज हिंदी पर व्याख्यान देने वालों की कतार लगने वाली है, अरे भैया, भूल गए क्या आज हिंदी दिवस जो है. . कल तक अंग्रेजी में इंटरव्यू देते हुए जो थकते नहीं थे, आज अपनी सेक्रेटरी को बोला है की हिंदी पर प्लीज चार लाइन तो लिख दो .. कितनी बड़ी विडम्बना है की दूसरो को उपदेश देने में हम ज़रा भी नहीं सकुचाते, पर जब बारी अपनी आती है तो सबसे पहले पाँव पीछे हम ही लाते है.. यूँ नहीं कि मुझे दुःख नहीं होता अपनी हिंदी की ये हालत देखकर पर सच कहूं दोस्तों तो इसके बिना कोई काम भी नहीं चलता है.. अच्छा आप ही बताओ क्या आप अपने बच्चे को हिंदी स्कूल में डालोगे? क्या आप खुश होते हो, जब वो कहता है, नमस्ते पिताजी, प्रणाम! नहीं.......... आप उसे सिखाते हो कि एसे नहीं बेटा, यूँ कहो कि “हाय डैड, हाउ आर यू”? अपने बच्चे के हिंदी बोलने पर हम डांट के उसे समझाते है ब