My views on this Hindi Diwas


हिंदी दिवस पर हिंदी के लिए मेरे विचार या दर्द 

दोस्तों आज हिंदी दिवस है, कई सभाएं होगी, कई चर्चाये होंगी, जिनका नतीजा शायद शून्य ही होगा. ऐसे ही बैठे बैठे कुछ ख्याल आये, जो बस लिख दिए. प्रस्तुत है चंद पंक्तियाँ-

आज हिंदी पर व्याख्यान देने वालों की कतार लगने वाली है,
अरे भैया, भूल गए क्या आज हिंदी दिवस जो है..

कल तक अंग्रेजी में इंटरव्यू देते हुए जो थकते नहीं थे,
आज अपनी सेक्रेटरी को बोला है की हिंदी पर प्लीज चार लाइन तो लिख दो..

कितनी बड़ी विडम्बना है की दूसरो को उपदेश देने में हम ज़रा भी नहीं सकुचाते,
पर जब बारी अपनी आती है तो सबसे पहले पाँव पीछे हम ही लाते है..

यूँ नहीं कि मुझे दुःख नहीं होता अपनी हिंदी की ये हालत देखकर
पर सच कहूं दोस्तों तो इसके बिना कोई काम भी नहीं चलता है..

अच्छा आप ही बताओ क्या आप अपने बच्चे को हिंदी स्कूल में डालोगे?
क्या आप खुश होते हो, जब वो कहता है, नमस्ते पिताजी, प्रणाम!
नहीं..........
आप उसे सिखाते हो कि एसे नहीं बेटा, यूँ कहो कि “हाय डैड, हाउ आर यू”?

अपने बच्चे के हिंदी बोलने पर हम डांट के उसे समझाते है बेटा अंग्रेजी में बात करो
फिर बड़े होकर उनमे हिंदी के प्रति सम्मान की कल्पना हम क्यूँ करते है?

आज अपनी बिटिया को बैकलेस टॉप और मिनी स्कर्ट में देख खूब हम इतराते है
पर वही बिटिया जब बड़ी होती है, तो क्यूँ इसके रहन सहन पर इतनी उंगलियाँ उठाते है?

आज मेरा भांजा मेरे पैर पढने में शर्म महसूस करता है
मेरी दीदी से कहता है, माँ ये हाय हेल्लो तक तो ठीक है, पर ये पाँव वगेरह पढना मुझे बड़ा “ओड” लगता है

क्या हम नासमझ है या जान बूझकर समझना नहीं चाहते है
कि जो नींव हम डाल रहे है वो नींव ही गलत है?

हमारे नन्हे मुन्हे मासूमो को कान्वेंट स्कूल में हिंदी बोलने पर सजा दी जाती है,
हम खुद भी आज शर्म महसूस करते है की हमें फर्राटेदार अंग्रेजी नहीं आती,
क्यूं फिर एक दिन के लिए व्यर्थ का दिखावा करते है?
या तो कोई बड़ी क्रांति हो जो हिंदी भाषा को बढ़ावा दे
या समझदारी इसी में है कि अंग्रेजी सीखे और आगे बढे

एक विज्ञापन में सलमान खान कहते है की “आज कुछ तूफानी करते है”!!!
मैं कहता हूँ क्यूँ न इस हिंदी दिवस पर अंग्रेजी को ही देश की राष्ट्र भाषा घोषित कर दी जाये

आप मुझसे नाराज़ हो सकते है
आप मुझसे असहमत भी हो सकते है
बस अभिव्यक्ति की आज़ादी के चलते अपनी बात आप तक रख पाया हूँ.

पर मेरी बातों से आपके दिल पर चोट पहुंची हो तो मैं आपका क्षमाप्रार्थी हूँ.

आपका
अजीद दुबे
भोपाल


Comments

  1. सराहनीय प्रयास। नियमित रूप से लेखन किया कीजिये

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  2. आपके समक्ष हमारी क्या बिसात?

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  3. प्रभावशाली...

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