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Showing posts from September, 2013

My views on this Hindi Diwas

हिंदी दिवस पर हिंदी के लिए मेरे विचार या दर्द   दोस्तों आज हिंदी दिवस है, कई सभाएं होगी, कई चर्चाये होंगी, जिनका नतीजा शायद शून्य ही होगा. ऐसे ही बैठे बैठे कुछ ख्याल आये, जो बस लिख दिए. प्रस्तुत है चंद पंक्तियाँ- आज हिंदी पर व्याख्यान देने वालों की कतार लगने वाली है, अरे भैया, भूल गए क्या आज हिंदी दिवस जो है. . कल तक अंग्रेजी में इंटरव्यू देते हुए जो थकते नहीं थे, आज अपनी सेक्रेटरी को बोला है की हिंदी पर प्लीज चार लाइन तो लिख दो .. कितनी बड़ी विडम्बना है की दूसरो को उपदेश देने में हम ज़रा भी नहीं सकुचाते, पर जब बारी अपनी आती है तो सबसे पहले पाँव पीछे हम ही लाते है.. यूँ नहीं कि मुझे दुःख नहीं होता अपनी हिंदी की ये हालत देखकर पर सच कहूं दोस्तों तो इसके बिना कोई काम भी नहीं चलता है.. अच्छा आप ही बताओ क्या आप अपने बच्चे को हिंदी स्कूल में डालोगे? क्या आप खुश होते हो, जब वो कहता है, नमस्ते पिताजी, प्रणाम! नहीं.......... आप उसे सिखाते हो कि एसे नहीं बेटा, यूँ कहो कि “हाय डैड, हाउ आर यू”? अपने बच्चे के हिंदी बोलने पर हम डांट के उसे समझाते है ब